Tuesday, September 18, 2012

............स्वागत है आपका .....

स्वास्थ्य और धन के इस अदभुत संगम स्थल पर ..

जहाँ आपके लिए उपलब्ध है सम्पूर्ण जगत द्वारा प्रमाणित

आपके शरीर पर केवल स्वास्थकर प्रभाव देने वाली

पेटेंट प्रोडक्ट्स का खजाना ..जो आपके लिए

धन का खजाना भी बन सकता है .. 

 सामी डायरेक्ट :  एक परिचय

सामी डायरेक्ट कम्पनी एक मल्टी नेशनल कम्पनी है जोकि पूर्णतया भारतीय है तथा कम्पनी का मुख्य कार्यालय व लैब्स् बैंगलौर में स्थित है। कम्पनी के संस्थापक डा0 मोहम्मद मजीद हैं जिनका जन्म केरला के  एक गाँव में किसान परिवार में हुआ, 1973 में फार्मेसी की डिग्री पूर्ण करने के उपरांत, 1975 में डाक्टरेट की पढाई करने स्कालरशिप पर अमेरिका गये, डा0 मजीद अमेरिका में “फाइजर“ व “चार्टर वलाॅस और पाको रिचर्स“ जैसी बडी कम्पनियों में साइंटिस्ट के पद पर रहे, अमेरिका में 1980 के दौरान अमेरिका की पार्लियामेंट में वहां के वाशिंदों के गिरते स्वास्थ्य को लेकर चिंता का विषय बना,

 लोगों को तरह-तरह की बीमारियाँ हो रही थी, जिनमें मुख्यतः मोटापा, डायबिटीज, कोलेस्ट्रोल, हार्टअटैक, दमा, कैंसर, साँस फूलना, याददास्त कमजोर होना, पुरूषों में सेक्स पावर का कम होना, जोड़ों में दर्द, स्त्री सम्बंधित रोग और कम उम्र  में बूढ़ा होना आदि सामिल थे। अमेरिका के डा0 लेनिस, जोकि दो बार नोबल पुरूस्कार विजेता रह चुके थे, के द्वारा अपनी कमेटी की रिर्पोट में बताया गया कि मनुष्य का शरीर 60 ट्रिलियन सेल्स से बना है, अगर मनुष्य के शरीर को तीन चीजें उचित मात्र में उपलब्ध कराई जाये तो मनुष्य 120 साल तक जी सकता है या जब तक वह जिन्दा है तब तक स्वस्थ जीवन यापन कर सकता है। वह तीन आवश्यक चीजें हैं शुद्ध जल (जोकि आज मिनरल वाटर या डिस्टिल वाटर द्वारा ही संभव है), शुद्ध आक्सीजन 21.9 प्रतिशत की मात्र में (जोकि आज पोल्युशन भरे वातावरण में संभव नहीं) और 46 पोषक तत्व जोकि हमारे शरीर के सेल्स को स्वस्थ रख सकें, लेकिन आज के युग में फलों-सब्जियों और अनाज को खेतों में उगाये जाने से लेकर पैक होने तक, कई तरह की कैमिकल प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है, जिससे उनमें पोषक तत्वों क्षमता बहुत कम हो जाती है, अतः उच्च गुणवत्ता के अनाज, फल व ड्राई फ्रूट्स खाने से 46 पोषक तत्वों की आपूर्ति नहीं हो पाती, इसलिये इलाज संभव नहीं है। उन्होने बताया इस बीमारी से बचने के लिए अमेरिका से सभी वाहन, मोटर कारें और गाड़ियाँ हटा दो, सभी उद्योग धंदे बंद कर दिए जाये, बिजली के समस्त उपकरण-टावर आदि समाप्त कर दिए जाये, ताकि पोल्यूशन बिलकुल भी न रहे, अमेरिका वाशियों को स्वच्छ एवं नेचुरल वाटर पीने को मिले और खान-पान में प्रोसेस्ड फूड व कैमिकल्स का स्तेमाल कतैई ना हो और 46 पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में लिए जायें, तभी अमेरिकन लोगों के स्वास्थ्य में सुधार संभव है और ये सब अमेरिका जैसे विकासशील देश के लिए संभव ना था।

डा0 मजीद एक भारतीय होने के कारण आयुर्वेद को जानते थे जबकि उस दौरान अमेरिका में आयुर्वेद की पावर को कोई नहीं जानता था। साथ ही उन्होंने देखा, फाइजर कम्पनी के मालिक सारी दुनियां को अपनी ऐलोपैथिक मैडीसन खिलाते हैं लेकिन जब उनके परिवार में कोई बीमार होता था तो चाइना से जडी-बूटी मंगा कर और उसे उबाल कर, उसका अर्क बीमार व्यक्ति को पीलाते थे। डा0 माजिद ने आयुर्वेद पर गहन रिसर्च कर अमेरिकियों को ठीक करने का बीडा उठाया। वे जानते थे कि 46 पोषक तत्व केवल आयुर्वेद से ही प्राप्त किये जा सकते हैं जिनका कोई साइड इफेक्ट भी नही होता। डा0 माजिद ने अपने साथियों की मदद से आयुर्वेद पर रिसर्च की और दुनियां की पांचवी पैथी मार्डन आयुर्वेदा यानी “ऐलोवेदा“ को जन्म दिया जोकि एक क्रांतिकारी खोज “मोलेक्यूल टेक्नोलाॅजी“ पर आधारित थी, “मोलेक्यूल टेक्नोलाॅजी“ का अर्थ अणु विज्ञान तकनीक है।

आयुर्वेद की खोज 5000 वर्ष महर्षि चरक के द्वारा की गयी थी, सैकड़ो वर्षों से आयुर्वेद में एक ही थ्योरी काम कर रही थी कि यदि “जिंजर“ यानि अदरक का कैप्सूल बनाना है तो कही से भी अदरक लो सुखाओ, पीसो और कैप्सूल में भर दो, जबकि अदरक के भीतर “एक्टिव मोलेक्युल्स“ की जानकारी होनी चाहिए। ये मोलेक्युल्स अदरक में कही 10 प्रतिशत पाए जाते हैं कही 90 प्रतिशत, इसका जानकारी होना अति आवश्यक है, 10 किलो अदरक में मात्र 50 से 100 मिली मोलेक्युल्स ही प्राप्त हो सकते हैं। ये चमत्कार दुनियां में पहली बार डा0 मजीद ने किया, जोकि महान भारत के नागरिक हैंे ये हमारे देश वासियों के लिये बड़े ही गौरव की बात है।

 

डा0 मजीद ने सन् 1988 में “न्यू जर्सी“ यू0एस0ए0 में “सबिंसा लेब“ की स्थापना की


 और 1996 में काली मिर्च के मोलेक्युल्स् का “बायोप्रिन“ के नाम से पहला पेटेंट कराया, 

एक पेटेंट का सालाना खर्चा रू0 2.5 करोड़ के लगभग रहता है, डा0 मजीद की कंपनी अब तक 76 पेटेंट करा चुकी है, और 150 से अधिक इंटरनैशनल और यू0एस0  पेटेंट्स  के लिए एपलाई किया हुआ है। डा0 मजीद की कंपनी “सामी लेब्स“ 350 से ज्यादा प्रोडक्ट्स,  तैयार व कच्चा माल या मोलेक्युल्स्  दुनियां की टाप फार्मास्युटिकल एवं अन्य कम्पनियों  को उपलब्ध कराती है। “सामी लेब्स“ किसी अन्य कंपनी की मदद से प्रोडक्ट तैयार नहीं करती बल्कि बीज एवं पौधे से मोल्युकल्स निकालने तक समस्त प्रक्रिया सामी लेब्स के ओरगेनिक फार्म्स या लेब्स में ही होती है, इसी कारण इस कम्पनी को दुनियाॅ का सबसे बडा मार्का आई0एस0ओ0 22000 मिला हुआ है।


 150 से अधिक के टॉप वैज्ञानिक डा0 मजीद के सहयोगी हैं जो उनके संस्थानोंओं में काम करतें है, एक वैज्ञानिक का खर्च 10 लाख प्रति माह तक सहता है।

 सामी डायरेक्ट के लिए पूरी दुनियाॅ में 1,70,000 एकड़ जमीन पर फार्मिंग होती है, 80,000 से अधिक किसान डा0 मजीद के लिए जडी-बूटियों की खेती करतें हैं। डा0 मजीद जो प्रोडक्ट अमेरिका को रु० 4000/- में बेचतें हैं वही प्रोडक्ट भारतवासियों को मात्र रु० 1000/- में उपलब्ध कराते हैं, जोकि एक गोरव की बात है।

डा0 मजीद का नाम दुनिया के 107 महान लोगों की लिस्ट में शामिल है, जिन्होने दूसरे देशों में जाकर बहुत नाम कमाया, अपने देश के साथ दूसरे देशों की भी तरक्की की और वापस अपने देश में ही बसे। 

डा0 मजीद को दो बार राष्ट्रपति पुरूस्कार एवं भारत सरकार सहित अन्य देशों से भी कई पुरूस्कार मिल चुके हैं।

 डा0 मजीद को मैडीकल क्षेत्र में दुनिया का सबसे बडा पुरूस्कार “अल्वा थोमस एडिशन अवार्ड“ दो बार मिल चुका है।




 डा0 मजीद की कम्पनियों का टर्नओवर 12000 करोड से अधिक है नीचे दिए प्रमाणपत्र अपनी कहानी खुद कहते हैं ,


 "यदि किसी  कम्पनी को  कोई भी दवा या खाद्य प्रोडक्ट भारत से बाहर भेजना होता है, उसे NABL की टेस्टिंग लैब से गुणवत्ता का प्रमाण पत्र लेना आवश्यक है।   भारत सरकार की ओर से  NABL की टेस्टिंग   लैब  सामी लेब" के पास ही है  इसका सीधा सा मतलब ये है कि  भारत की  किसी कंपनी को अपनी दवा या खाद्य पदार्थ निर्यात करने के लिए अंततः  सामी लैब से गुजरना होगा .




 कम्पनी के प्रोडक्टस् उत्तराखण्ड के पंतनगर में भी तैयार होते हैं।





इन न्यूज़ 

1. भारतीय 



2.विदेशी (क्योकि हम भारतीय विदेश के प्रमाण से ज्यादा प्रभावित होते हैं )


3. प्रादेशिक 

4.स्वास्थ्य पत्रिका में 








प्रोडक्ट ..एक नजर 

सामी डायरेक्ट के प्रोडक्ट्स “भोजन और दवा“ के बीच एक ब्रिज का काम करतें हैं, आज हम अपने जीवन में वयस्तता के चलते जल्दबाजी में जंक फूड, बिना प्रोटीन का भोजन, असंतुलित आहार या प्रदूषित सब्जियां व अनाज, जिनमें पेस्ट्रीसाईड्स और कैमिकल्स का प्रयोग होता है, ले रहें हैं। इस भोजन से हमारा पेट तो भर जाता है लेकिन शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते, रही सही-कसर हमारा मोबाइल, ओवन, फ्रिज, बिजली के उपकरण, प्रदूषित पानी, प्रदुषण, सिगरेट, शराब, गुटका आदि पूरी कर देते हैं और हमारा शरीर एक बीमारी का घर बन जाता है। 30 से 35 वर्ष की उम्र के उपरांत शरीर में एक एंजाइम बनना बंद हो जाता है जिसे सी.ओ.क्यू. एंजाइम कह सकतें हैं, इस उम्र के बाद हम कितना भी पोष्टिक भोजन लो, कोई असर नहीं होता और हमारी लाइफ की इंटरवेल के बाद की पिक्चर शुरू हो जाती है यानि बुढ़ापा आने लगता है।

सामी डायरेक्ट अपने न्युट्रास्युटीकल्स् की अदभुत श्रृंखला से हर स्वास्थ्य समस्याओ से निदान और पूर्व सुरक्षा हेतु सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है, जोकि निम्न प्रकार हैं:-






  1.     मधुमेह (किसी प्रकार का), कोलेस्ट्राल, ब्लड-प्रेशर, कैंसर, मोटापा या पतले से मोटा होना।
  2. सामान्य स्वास्थ्य लाभ, बेहतर शारीरिक प्रतिरक्षा प्रणाली, पुरुषों में पुरुषत्व को बनाये रखना।
  3. हृदय, लीवर व किडनी सम्बंधि रोग, 35 की उम्र के बाद शरीर में सीओक्यू ना बनना।
  4. गठिया, मास-पेशियों में सूजन, जोड़ो में दर्द, कमर में दर्द व जोडों में ग्रीस का खत्म होना।
  5. स्त्री संबंधित रोग, स्त्रियों में कमर दर्द, पैशाब में जलन, पथरी व यूरीनरी ट्रेक इनफेक्शन जो कि स्त्रियों में मासिक धर्म के दौरान कीटाणुओं   के गर्भाशय में वापस पहुचने से होता हैं।
  6. स्त्रियों में बच्चे पैदा करने से उनकी हड्डियों आये विकार, चुकि पैदा होने वाले बच्चे की हड्डियां माँ की हड्डियों से बनती हैं, इसलिये अकसर बुढापे में हड्डियां टूटती हैं, प्रत्येक 40+ स्त्री के लिए आवश्यक।
  7. कम उम्र में आने वाले बुढ़ापे के कारण चेहरे पर पडने वाली झुर्रियां, स्त्रियों एवं पुरुषों में कांतिमय त्वचा का न रहना, दुर्बलता, शारीरिक कमजोरी एवं रोगों से लड़ने की क्षमता का कम होना।
  8. प्रदूषण, सिगरेट, शराब, खानपान में प्रोसेस्ड् फूड, सब्जियों व खाद्य पदार्थ में पेस्टीसाइड्स व कैमीकलस् के स्तेमाल से शरीर में जमा होने वाले विषाक्त पदार्थों के कारण होने वाले गंभीर रोग।
  9. एलकोहल से लीवर और किडनी खराब होना या होने वाले खतरों से बचाव, शराब पीने वाले लोगों के लिए खुश-खबरी, अगले दिन बिना हेंगओवर बेहतर गुड मार्निंग, शराब पीने से लीवर में उत्पन्न होने वाले जहरीलें पदाथों व एसीटेल्डीहाइड से बचाव (शराब पीना ही शरीर के लिए हानिकारक है)।
  10. वे बच्चे या किसी भी उम्र के लोग, जिन्हें सिजेरियन आप्रेशन से पैदा होने के कारण अन्य कारण से अपनी मा का पहले 6 धण्टे का दूध नसीब नहीं होता, चुकि यही दूध एक शिशु के शारीरिक व मानसिक विकास को निर्धारित करता है, कम्पनी का प्रोडक्ट गाय के पहले दिन के दूध से तैयार होता है।